अंधकार में दीपक जलता, करता हमको स्वयं प्रकाशित किन्तु शलभ भी उसी दीप में अंधकार में दीपक जलता, करता हमको स्वयं प्रकाशित किन्तु शलभ भी उसी दीप में
हजारों बाधाएं हटेंगी हंसना भी मुमकिन होगा कभी ना कभी कल का दिन बेहतर होगा। हजारों बाधाएं हटेंगी हंसना भी मुमकिन होगा कभी ना कभी कल का दिन बेहतर होगा।