मेरे जीवन में मत आना
मेरे जीवन में मत आना
मेरी बगिया भी सूखी है,
पुष्प उसी का मैं भी सूखा।
दृष्टि नहीं है मेरे ऊपर,
मेरा माली भी है रूखा।
नहीं मिलेगा मधुप तुम्हें मधु-
कोई गीत नहीं तुम गाना
मेरे जीवन में मत आना।।
अंधकार में दीपक जलता,
करता हमको स्वयं प्रकाशित
किन्तु शलभ भी उसी दीप में,
दहता है जाने किसके हित
लेकिन खुद जलने के भय से-
बन न सकूँगा मैं परवाना
मेरे जीवन में मत आना।।
शब्द-अर्थ जब नहीं जानता,
कैसे बोलो गीत लिखूँगा।
लय-गति-यति-सुर-ताल न जानूँ,
किस विध तुझ को मीत लिखूँगा
कर न सकूँगा व्यक्त तुझे प्रिय-
क्योंकि न आता छन्द बनाना
मेरे जीवन में मत आना।।