मिले थे जिस ख़याल से फिर वो ख़याल लें चले मिले थे जिस ख़याल से फिर वो ख़याल लें चले
मौन उचित समय का एक सही अंदाज हैं मुस्कान चाहत कि एक शुरुआत हैं ! मौन और मुस्कान समायोचीत रखे.. मौन उचित समय का एक सही अंदाज हैं मुस्कान चाहत कि एक शुरुआत हैं ! मौन और मुस्कान...
गुस्से में क्या से क्या हम बोल ज़ाते हैं अरे अपनी तहजीब में कुछ तो शराफत लाओ यारों। गुस्से में क्या से क्या हम बोल ज़ाते हैं अरे अपनी तहजीब में कुछ तो शराफत लाओ ...
अपनी तहज़ीब, मर्यादा लोग भूल गये है, ऐसे कोई अपने शरीर के कपड़े बदलता है, जैसे अपनी तहज़ीब, मर्यादा लोग भूल गये है, ऐसे कोई अपने शरीर के कपड़े बदलता है, जैसे