भलाई की बात कहाँ रही अब जालिम जमाने में? लोग उल्फत नहीं अब नफरत का नशा करते हैं। भलाई की बात कहाँ रही अब जालिम जमाने में? लोग उल्फत नहीं अब नफरत का नशा करते ह...
हर गिला शिकवा को मानो, लग गए हों पंख। आँखों में जिसके बसे हम, वह भी मारे डंक।। हर गिला शिकवा को मानो, लग गए हों पंख। आँखों में जिसके बसे हम, वह भी मार...