इसीलिए तू चश्मा है लगाती, इसीलिए तू चश्मा है लगाती,
इस चालीस पार का क्या ग़म मनाना इस चालीस पार का क्या ग़म मनाना
पांच रुपया जो बचाने की सोचता हूं पर बीस रुपए की उधारी हो जाती है इस तरह मेरी फटी हुई जेब फटी की फ... पांच रुपया जो बचाने की सोचता हूं पर बीस रुपए की उधारी हो जाती है इस तरह मेरी फ...