खोल नहीं पाती खिड़कियां, यह रंग बिरंगी तितलियां। खोल नहीं पाती खिड़कियां, यह रंग बिरंगी तितलियां।
अब भी यहां रिश्ते रहते हैं, या कहीं और ही रहने लगे हैं अब भी यहां रिश्ते रहते हैं, या कहीं और ही रहने लगे हैं
जिनके लाड़ प्यार में, डूबी रहती थी मैं। उनसे भी प्यारे हमे, अब लगते है प्रीतम। जिनके लाड़ प्यार में, डूबी रहती थी मैं। उनसे भी प्यारे हमे, अब लगते है ...
जहाँ मैं बड़ी हुई, जिस अंगना में खेली हूँ उसको छोड़कर पति के घर बिन सोचे आ जाती हूँ खूब करती सेवा,पत... जहाँ मैं बड़ी हुई, जिस अंगना में खेली हूँ उसको छोड़कर पति के घर बिन सोचे आ जाती ह...
चार बात अपनों से कर पाएंगी भाषा जो अपनी रह जाएगी ! चार बात अपनों से कर पाएंगी भाषा जो अपनी रह जाएगी !
सबके मन को भायी पावन अवसर की बेला में सबको स्नेह हजार मिले सबके मन को भायी पावन अवसर की बेला में सबको स्नेह हजार मिले