घर-ऑंगन में जो फुदका करती थी,दाना चुंगकर ठंडा पानी पीती थी । कहाँ गई वो प्यारी नन्हीं घर-ऑंगन में जो फुदका करती थी,दाना चुंगकर ठंडा पानी पीती थी । कहाँ गई वो प्या...
बचपन में याद बा आंगना में आवत रहे गौरिया .. हम बुतरू लोगन के मन बहलावत रहे गौरिया.. बचपन में याद बा आंगना में आवत रहे गौरिया .. हम बुतरू लोगन के मन बहलावत रहे गौ...
गोरैया प्यारी मनोहर अनुपम मतवाली है, चीं चीं की नव उमंग से फैली उजियारी है। गोरैया प्यारी मनोहर अनुपम मतवाली है, चीं चीं की नव उमंग से फैली उजियारी है।
हे प्रकृति की मासूम प्रतिनिधि! हम तुम्हारे अपराधी हैं.. हे प्रकृति की मासूम प्रतिनिधि! हम तुम्हारे अपराधी हैं..
आओ मिलकर हम सब भैया ज्यादा पेड़ लगाएंं! आओ मिलकर हम सब भैया ज्यादा पेड़ लगाएंं!