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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Children Stories Tragedy

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Children Stories Tragedy

गौरैया

गौरैया

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घर-ऑंगन में जो फुदका करती थी,दाना चुंगकर ठंडा पानी पीती थी ।

कहाँ गई वो प्यारी नन्हीं सी गौरैया ?

चीं-चीं, चूं-चूं हरदम करती थी,बरसात में पंख फैलाकर नाचा करती थी ।

कहाँ गई वो प्यारी नन्हीं सी गौरैया ?

तिनका-तिनका इकट्ठा करती थी,सुंदर सा नीड़ निर्माण करती थी ।

कहाँ गई वो प्यारी नन्हीं सी गौरैया ?

हरे-भरे पेड़ों पर आजाद फुदकती थी,कितनी चंचल ? पास आकर दूर चली जाती थी ।

कहाँ गई वो प्यारी नन्हीं सी गौरैया ?


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