"आओ पेड़ लगाएँ..
"आओ पेड़ लगाएँ..
“आओ पेड़ लगाएँ....
आओ मिलकर हम सब भैया, ज्यादा पेड़ लगाएँ,
आस पास अपनी धरती को, फिर से हरा बंनाएँ।
मानव, तेरी गतिविधि से, आज पर्यावरण दूषित है,
जंगल का हर जीव जंतु, बेघर और त्रषित है,
क्यों न इन जीवों को फिर से, इनका घर दिलवाएँ,
कितने उपयोगी तरु होते है, सबको ये समझाएँ ,
आओ मिलकर हम सब भैया, ज्यादा पेड़ लगाएँ,
आस पास अपनी धरती को, फिर से हरा बनाएँ।।1
एक पेड़ जो फल देता है, वही पेड़ दे छाया,
लकड़ी बनकर शोभा देती, इन तरुओं की काया,
बगिया के फूलों से अपनी , प्यारी धरा सजाएँ,
लुप्त होती गोरैया का, फिर से नीड़ बनाएँ,
आओ मिलकर हम सब भैया, ज्यादा पेड़ लगाएँ,
अपने आस पास धरती को,फिर से हरा बनाएँ।।2
हो जाये हलकान कृषक ,जब फसल सूख जाती है ,
पानी बिन धरा पर सबको , रहती प्यास सताती है,
तब ये वन बादल लाते, जो निर्मल जल बरसाएँ,
रिमझिम बारिश की बूंदों से , सबके मन हरषाएँ,
आओ मिलकर हम सब भैया ज्यादा पेड़ लगाएँ,
आस पास अपनी धरती को फिर से हरा बनाएँ।।
