बुढ़ापे में दोनों से बिछड़ने का भाव एकमेव उपाय आज में जीने का स्वभाव।। बुढ़ापे में दोनों से बिछड़ने का भाव एकमेव उपाय आज में जीने का स्वभाव।।
कल्पना वाली अल्पना का क्या भरोसा उसके अंदर जिंदा भी हूँ या मर गया। कल्पना वाली अल्पना का क्या भरोसा उसके अंदर जिंदा भी हूँ या मर गया।
बचना भी जरूरी, भरना भी जरूरी डालकर जज्बात और चाहतें आधी अधूरी। बचना भी जरूरी, भरना भी जरूरी डालकर जज्बात और चाहतें आधी अधूरी।