रुग्ण काया बिन चप्पल पांव अश्रु पूरित नेत्रों से ताक रही थी ! रुग्ण काया बिन चप्पल पांव अश्रु पूरित नेत्रों से ताक रही थी !
समझना ना चाहते हुए भी समझ जाता सब कुछ समझने की सब्र ना रखते हुए भी समझ जानेकी बहाना करता मैं। बि... समझना ना चाहते हुए भी समझ जाता सब कुछ समझने की सब्र ना रखते हुए भी समझ जानेकी...