चाह नहीं पतंग की ऊंचाई पा जाऊँ अपनी डोर गैरों के हाथ पकड़ाऊं चाह नहीं पतंग की ऊंचाई पा जाऊँ अपनी डोर गैरों के हाथ पकड़ाऊं
मैं तो थी ताउम्र तेरी, जब तुम्हारी आई बारी, तो बताओ तुम कहां थे ? मैं तो थी ताउम्र तेरी, जब तुम्हारी आई बारी, तो बताओ तुम कहां थे ?