कुछ अपनी आवाज मंद थी कुछ तुमने भी कान न पाये। कुछ अपनी आवाज मंद थी कुछ तुमने भी कान न पाये।
सावन के मौसम में कवि को अपनी प्रियतमा की याद आती है और वे उससे मिलने के लिए बेताब हो उठते हैं। वे उ... सावन के मौसम में कवि को अपनी प्रियतमा की याद आती है और वे उससे मिलने के लिए बेत...
बदले भारत की तस्वीर युवाओं दिल अपने स्पंदित कर लें। बदले भारत की तस्वीर युवाओं दिल अपने स्पंदित कर लें।
अभिनन्दन के दुशिमन की कैद में होने के समय लिखी एक कविता.... अभिनन्दन के दुशिमन की कैद में होने के समय लिखी एक कविता....
आचार्यश्री के चरणों में समर्पित, मेरा गीत कहे या कहे आप इसे भजन। आचार्यश्री के चरणों में समर्पित, मेरा गीत कहे या कहे आप इसे भजन।
हरी-भरी धरती का यौवन जैसे नववधु सा सोलह श्रृंगार। हरी-भरी धरती का यौवन जैसे नववधु सा सोलह श्रृंगार।