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Ms Ishrat Jahan Noormohammed Khan

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Ms Ishrat Jahan Noormohammed Khan

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ज़िंदगी

ज़िंदगी

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ज़िन्दगी कोई अहसान नही करती

बस इंसान को शैतान करती है

जख्मो को कुरेद कर आम करती है

ज़िन्दगी को मौत के नाम करती है

मासूमो को देती है दर्द

शैतानो की बनती है हमदर्द

रुक जा ए इंसान

इस भरम के दलदल से

निकलना जरूरी है

कही ऐसा न हो

दुनिया खत्म हो जाये

ओर तेरे शतरंज के मोहरे थम जाए

चार दिन की ज़िंदगी है

जी ले अहसान करके

धर्म पर न लड़

इज्जत पर न लड़

दहेज पर न लड़

बेमानी पर न लड़

मत चुका कीमत उस चीज की

जो तेरी नही है

क्योंकि

जिसे तू पैसे दे रहा है

वो तिजोरी तेरी नही है

गरीबो के जखम बड़ रहे हैं

अमीरो के मरहम बड़ रहे हैं

 इस दुनिया मे कोई किसीका नही यही सच है

ओर जो सच है

उसका कोई नही होता

ओर जो झूठ है उसके पास काफिले होते हैं

मुखे जरूरत नही किसीके साथ कि

मुझे जरूरी नही किसीके औकात की

मुझे जरूरत नही किसीके जज्बात की

मुझे जरूरत नही किसीके ऐतबार की

क्योंकिमैं इन्सान हूँ कोई खिलौना नही

जिसे तुम खेल लो

जब खेल खत्म हो जाये

तब मुखोटा उतार कर कहे दो 

अब तुम मेरे कोई काम की नही

इस लिए इंसान अपने काम से कम रख 

ईमान से ईमान रख

छोड़ दे मुखौटे का साथ

ओर जी ले सिर्फ अपने जज़्बात

    


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