ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
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ज़िन्दगी मे रंगीन नजारे देखते देखते
हम ज़िन्दगी की असली रंगीनियों को भूल जाते हैं
और फिर सारे रिश्ते खो कर अकेले खड़े कहते हैं
इस बेरंग ज़िन्दगी मे अपना कोई नहीं।