ज़िन्दगी कोई खेल नहीं
ज़िन्दगी कोई खेल नहीं
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ज़िन्दगी कोई खेल नहीं,
ये मैदाने जंग है।
हर तरफ लोटते हैं सांप,
और बाजुएं तंग हैं।
ये ले लेती है आगोश मे,
हर खुशी पाबन्द है।
ये एक चढ़ते नशे सी,
हर लम्हा नशाबन्द है।
ज़िन्दगी कोई खेल नहीं,
ये मैदाने जंग है।
धोखाधड़ी, प्यार मोहब्बत
ये इसके पैबन्द हैं।
इसका कोई ठिकाना नहीं,
फिर भी भरोसेमंद है।
ज़िन्दगी कोई खेल नहीं,
ये मैदाने जंग है।
