ज़िंदगी खेल नहीं
ज़िंदगी खेल नहीं
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कंकड कांटे बिछे पथ पर
पथरीले रास्ते हैं
लगता हैं खत्म हो गयी ज़िंदगी
पर आगे अन्धा मोड है ।
ज़िंदगी मदारी है खेल
नचाता है कोई
मगरुरी मे मुस्कुरकर
नाचता है कोई
ज़िंदगी धुप छांव मे लिपटी
परछाईयों का खेल
रोता है कोई हंसता है कोई
नही होता सुख दुख का मेल
ज़िंदगी है रहनुमा
बरसाती दुआयें बेसहारो पर
ठगती है जिन्दगी साफ़ दामन वालो को
सफेद मिलता है कफन दागदारों पर
ज़िंदगी कोई खेल नहीं
जिगर लगता है जीने को
करना पड्ता है कलेजा पत्थर का
मुसीबतों को उस पार लगाने को
