ज़िन्दगी अस्त-व्यस्त है !
ज़िन्दगी अस्त-व्यस्त है !
1 min
255
जब से तुम पास नहीं हो मेरे
चैन एक पल का नहीं दिल में
सब अस्त-व्यस्त सी हो गयी ज़िन्दगी
घर के सामान देखो बिखरे पड़े हैं।
कहते भी लोग हैं
बिनु गृहणी के घर सून होता है
टपकता है मन आँखों से रिसकर
दिल हमेशा ही जब ग़मगीन होता है।
आ लौटकर अब आ जा
यह बेजान सा घर तुझको पुकारे
हम जी सकते नहीं बग़ैर अब तेरे
माफ़ कर दो हमें, हम तुमसे जो हारे।