यही तकाज़ा है........!
यही तकाज़ा है........!
ऐ मेरे,
जानेमन
जानेजिगर
जानेतमन्ना
हम तो करते हैं -
तुमसे मुहब्बत
जन्म-जन्म से !
माना कि,
ना इकरार हुआ
ना इनकार हुआ
ना करार मिला
ना सगाई हुई
ना लगन हुआ
ना वेदी सजी
ना हवन हुआ
हवनकुंड की अग्निसाक्षी में
ना फेरे हुए संग तिहारे
लेकिन.......
ये ज़मीं-आसमां
और,
क्षितिज की साक्षी में
हम तो हैं सदियों से तेरे
तुम हमको अपना मानो
भले ना मानो
सच तो ये है जाना
हैं बिन फेरे हम तेरे
यही तकाज़ा है सनम
दिल-ए-जज़्बात का !
इसीलिए तो भले ही
हुए नहीं अब तक फेरे
फिर भी तुमसे -
जुड़ गया गठबंधन
सुनो मेरे किशन-कन्हैया
ओ देवकीनंदन !
