यायावर
यायावर
यायावर सी हो चली है
जिंदगी मेरी
मिले ना कहीं छाँव कोई
न प्यास बुझे मेरी
मंजिल की तलाश में
गुमनाम सफर की ओर
चल पड़े हैं कदम
इक छाँव मिले कहीं
सहते हैं धूप यहाँ
पैमाना कोई नहीं
सांसो में कोई
आकर कहता
जिंदा तो हो न अभी
रास्ते का मुसाफिर हूँ
मंजिल का पता नहीं
यायावर मेरा मन है
भावनाएँ बहती सी
जीवन की आपाधापी में
हर व्यक्ति अकेला यहां
सफर, मंजिल, रास्ते
मुसाफिर सभी मुझमें
मैं इनसे हूँ नहीं
अब न शीत डराता
न हीं ताप झुलसाता
जिंदगी ठहरी हुई
धड़कनें यायावरी
सपना हूँ सपना समझो
कोई यायावर नहीं
कोई यायावर नहीं !
