यादों वाला बचपन
यादों वाला बचपन
कल तक शायद मैं
किसी की सिर्फ बेटी थी,
खिलखिलाती सी,
गुनगुनाती सी
जो सुनकर, रात मे झिंगुर की आवाज़
झट से माँ के आंचल,
तो कभी पापा के सीने मे छुप कर
सो जाती थी।
जो शरारत मे अपने बड़े भाई
को बचाना जानती थी,
हर कॉमिक्स को पहले उसे पढ़ने देती
वही भाई जो बात बात पर,
मेरी छोटी सी चोटी खींचता रहता था।
ना जाने क्यूँ हर बार आखिर तक
मैं अपनी चॉकलेट बचाती थी,
या शायद, छोटे भाई को खुश देखने
की खातिर ही खा नहीं पाती थी।
और बहन को स्कूल में
हमेशा बड़ी बहन है साथ,
कह कर उसका साथ निभाती थी,
हर रोज़ रुपया, दो रुपया
उसके नन्हे हाथों मे रखकर,
उसकी निश्छल हंसी चुराती थी ।
यादों वाला बचपन ,
अब भी याद है मुझको
पर वक़्त के दामन ने है,
जकड़ा सबको
पास नहीं रहते अब वो,
बचपन वाले नाते
फिर भी साथ निभाते हर पल ,
बनकर प्यारी यादें,
हाँ बनकर कुछ भूली बिसरी यादें ।