यादों की जैकेट
यादों की जैकेट
आज मैंने यादों की जैकेट बुनने की कोशिश की है,
हर जज़्बात को इसमें, जोड़ने की कोशिश की है।
लगती इकतरफा है, पर है दुतरफा ये जैकेट मेरी,
सर्द मौसम में गर्म यादों को, पिरोने की कोशिश की है।
खुशनुमा लम्हों के रंगों को किया, ऊपर की तरफ,
काली यादों को अस्तर, बनाने की कोशिश की है।
बेदर्द ज़माना है, यादों की जैकेट के बटन बंद करके,
अपनी ख़ुशियों को आज, समेटने की कोशिश की है।
बहुत ही खुशनुमा था, दिलशाद था बचपन मेरा,
बचपन इक बार फिर से, जीने की कोशिश की है।
यादों की जैकेट को पहन 'श्वेता' तू सजने लगी,
इस बहाने तूने, खुद को सजाने की कोशिश की है।
