:यादों का क्रंदन
:यादों का क्रंदन
1 min
263
यादों की नदी सी बहती है
बीती यादों का प्रवाह और
भयावह रूप लिए
तोड़ती किनारों को यादों की लहरें
यादों की क्रंदन करती ध्वनि भी
मन के भावों को जख्मी करती
चलती हैं निर्बाध सी
मेरे अंदर उठ रही हैं यादों की
उफनित सी लहरें
और मैं निरीह सी खड़ी किनारे
मानों असहाय सी
मैं अचंभित सी निरीह सी
यादों के क्रंदन में खड़ी
देखती रही यादों के स्वप्न से
यादों की चिरनिंद्रा में डूबी।