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Nikki Sharma

Others

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Nikki Sharma

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यादें

यादें

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मां की अंगुली जोर से थामे

स्कूल तक आई थी फिर अचानक

बहुत रोई और बहुत चिल्लाई थी

नहीं जाना मां, नहीं जाना मुझे।


बहुत कहकर मां को मनाई थी

लोगों की भीड़ में भी अकेली

खुद को बड़ी बेबस पाई थी

भोली भाली सूरत लेकर।


आंखों में उदासी थी झलक

चारों तरफ बच्चे ही बच्चे

मैं सब टकटकी से निहार रही थी

मां कब बाहर निकल गई।


देखो मुझे अकेला छोड़ गई

खुद को अकेला फिर मैं पाई

बिन मां के कहां कभी थी रह पाई

आंखें फिर थी भर भर आई।


चारों तरफ जो नजर दौड़ाई

बहुत कुछ अलग फिर मैंने पाई

बच्चे दौड़ लगा रहे थे कहीं

पर बच्चे कुछ खा रहे थे।


मैं भी खुद को संभाला

सबको फिर खूब निहारी

धीरे-धीरे दोस्त बने कुछ

फिर वह, हौले हौले हाथ बढ़ाया।


पूरा दिन फिर मस्ती में बिताया

हंसते-हंसते घर को आई

मां को कहानी थी फिर

खूब सुनाई, मां को थी खूब सुनाई।



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