वसंत ऋतु का आगमन
वसंत ऋतु का आगमन
वाह! पावन वसंत ऋतु का हो गया आगमन
गीत गाने लगा बेचैन जन का तन और मन।
पवन भी देखो निरंतर चलने लगी सनन-सनन
इसी तरह अनेक पर्व से भरा है हमारा वतन।
लहराती फसलें सभी के मन को भाती
पीली सरसों बहुत कमाल है दिखाती।
आम-वृक्ष,पुष्प पलाश से महकती धरती
वासंती रंग में भरकर नाचती सारी प्रकृति।
जल से भरे सरोवर हर लेते हैं सभी का मन
हे मनुज! प्राकृतिक नज़ारे ही हैं सच्चा धन।
चारों ओर सुगंध-प्रसन्नता है खूब शोर मचाती
पक्षियों की चहचहाहट मधुर संगीत सुनाती।
ऋतुराज वसंत में प्रकृति हो जाती है तैयार
नई-नई उत्पन्न होती कोंपले करतीं हैं श्रंगार।
गेँहू, रबी आदि की फसलें लहराती हैं हर बार
आनंदमय इस पर्व में ही छिपा है जीवन-सार।
किसान की प्रिय ऋतु 'बसंत' भर देती है भंडार
नाचने-झूमने, ढोलक बजाने लगता है संसार।
इस रंगभरी ऋतु में आते हैं तीन बड़े त्योहार
*बसंत पंचमी* महाशिवरात्रि व होली की बहार।