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Vinay Singh

Others

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Vinay Singh

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वृत्तियाँ

वृत्तियाँ

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मार्ग के अवरोध को, 

तू दूर कर दे,

वृत्तियों के तमस को,

तू चूर कर दे।

बन न सकें,

राम और कृष्ण तो,

बस मनुष्य ही रहें,

मजबूर कर दे।

जीवन मिला सत्कर्म,

और संघर्ष को,

नहीं भोग व निज स्वार्थ के,

उत्कर्ष को।

तू पार्थ है,

श्रीकृष्ण जैसे सारथी का,

छू ले बढा,निज हाथ,

आकाश के अमर्ष को।

                  


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