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डॉ दीप्ति गौड़ दीप

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डॉ दीप्ति गौड़ दीप

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वृक्ष धरा के आभूषण

वृक्ष धरा के आभूषण

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वृक्ष प्रतिदिन कटते जाते,

तेज कुल्हाड़ी से कट-कट।

पर्यावरण पर आज आया,

कैसा भीषण संकट।


धरती के आभूषण को,

मानव ने कैसे उजाड़ा है।

सृष्टि के आदिकाल से ही

वृक्षों ने सबको पाला है।


पर्यावरण समस्या प्रतिदिन,

गहराती ही जाती है। 

फिर भी मानव को वृक्षों पर,

दया तनिक न आती है।


हे मानस के राजहंस अब,

आओ होश में आओ।

वृक्षों को संतान मानकर,

अपने गले लगाओ।


आओ सब जन साथ मिलकर,

वृक्षारोपण आज करें।

पर्यावरण प्रदूषण को हम,

आज मिल कर दूर करें।


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