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Rahul Desai

Others

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Rahul Desai

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व्रज रे पुकारे

व्रज रे पुकारे

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जशोदा मैयां की ममता रे पुकारे,

सूना पड़ा नंद महल का आँगन रे पुकारे,

गायों के गले की घंटी भी पुकारे,

वापस आ जाओ कृष्णा हरे,

अब तो पूरा व्रज रे पुकारे


राधा की सुनी प्रीत रे पुकारे,

हर बहता आंसू तेरा नाम रे पुकारे,

सुना पड़ा यमुना तट भी पुकारे,

वापस आ जाओ कृष्णा हरे,

अब तो पूरा व्रज रे पुकारे


गोपियन की गागर रे पुकारे,

छत पर लटका माखन रे पुकारे,

सुनी पड़ी कदम्ब की डाली भी पुकारे,

वापस आ जाओ कृष्णा हरे,

अब तो पूरा व्रज रे पुकारे


व्रज में रहता हर जीव रे पुकारे,

कुंज गली का हर कोना रे पुकारे,

उदास खड़ा यहाँ व्रज रे पुकारे,

वापस आ जाओ कृष्णा हरे,

अब तो पूरा व्रज रे पुकारे !


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