व्रज रे पुकारे
व्रज रे पुकारे
जशोदा मैयां की ममता रे पुकारे,
सूना पड़ा नंद महल का आँगन रे पुकारे,
गायों के गले की घंटी भी पुकारे,
वापस आ जाओ कृष्णा हरे,
अब तो पूरा व्रज रे पुकारे
राधा की सुनी प्रीत रे पुकारे,
हर बहता आंसू तेरा नाम रे पुकारे,
सुना पड़ा यमुना तट भी पुकारे,
वापस आ जाओ कृष्णा हरे,
अब तो पूरा व्रज रे पुकारे
गोपियन की गागर रे पुकारे,
छत पर लटका माखन रे पुकारे,
सुनी पड़ी कदम्ब की डाली भी पुकारे,
वापस आ जाओ कृष्णा हरे,
अब तो पूरा व्रज रे पुकारे
व्रज में रहता हर जीव रे पुकारे,
कुंज गली का हर कोना रे पुकारे,
उदास खड़ा यहाँ व्रज रे पुकारे,
वापस आ जाओ कृष्णा हरे,
अब तो पूरा व्रज रे पुकारे !
