वक़्त की पहचान
वक़्त की पहचान
वक़्त, मतलब समय !
सम्पूर्ण विश्व बंधा है समय के साथ फिर भी हम
कभी-कभी वक़्त के विपरीत कार्य करके ख़ुद अपने पैरो पर
कुल्हाड़ी मार लेते हैं , और दोष सब समय पर मढ़ देते हैं कि-
अपना समय अभी खराब चल रहा है ।
वक़्त जैसा साथी जीवन में कहीं मिलेगा भी नहीं आपको
जो हमें कोई भी कार्य करनें से पहले , एकबार दिल को टोकता ज़रूर है ।
एक हम इंसान ! सिवा अपने आगे कब किसी की सुनते हैं
भूलकर वक़्त की बात उलझाकर अपनी ज़िन्दगी
बाद में पश्चाताप करता है वह !
वक़्त सदैव परिवर्तनशील होता है। वक़्त ही बदलता है
जब इंसान रातों-रात अमीर हो जाता है और धनवान् व्यक्ति
अपना सब कुछ लूटा कर पल भर में कंगाल हो जाता है ।
जिसे हम क़िस्मत समझकर अपने ही नसीब का दोष देते हैं ।
जब समय के साथ सब कुछ बदलता रहता है
इस जहाँ में तो हम वक़्त को पहचान ने की भूल करें ही क्यूँ..!
उपर लाख़ आफ़त आ जाये उन परेशानियों से हम डरे क्यूँ..!
आज दुःख है तो कल सुख आयेगा ज़रूर बस यही सोच लेकर
गर् हम अपना सफ़र जारी रखें तो कोई माई का लाल !
अपनीं तरक्की को रोक नहीं सकता है ।
इसलिए मेरा हाथ जोड़कर दुनिया से विनती है कि -
वक़्त को पहचानो और समय के साथ चलना सीखो
तुम हो क्या आख़िर एक बांस का फोकला , हवा के संग बस
बहना सीखो..!
समय बड़ा बलवान होता है , जिनसे तुम्हें लड़ना नहीं है
बस थोड़ी पहचान रखकर वक़्त के साथ चलिए
मंज़िल भी तेरे इंतज़ार में बैठी है सिर्फ तुझे अपने कदम
बढ़ाने होंगे..!!
