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Deepika Raj Solanki

Others

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Deepika Raj Solanki

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वो सतरंगी पल

वो सतरंगी पल

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बाबा के साथ बिताए थे जो पल,

थे उसमें सारे इंद्रधनुषी रंग,

सजाते थे सपने अंखियों में मेरे,

पलकों में बैठ कर उनकी,

चांद को छू आऊं मैं,

मुट्ठी में भर सितारे सारे,

घर आंगन सजाऊं मैं,

था बाबा का सपना ऐसा,

मैं चीर के आसमां को,

परचम अपना लहराऊं,

बहुत खूबसूरत थे वो सतरंगी पल,

जब बाबा को पाती थी साया बन अपने संग।


मां के साथ भी बीता था सुहाना पल,

बचपन में गुड़िया की शादी हो,

या फिर गणित की कोई परेशानी हो,

या फिर यौवन की कोई कहानी हो,

मैंने मां की हर सलाह को मानी है,

बन गुरु मां उन्होंने मेरे जीवन की

बागडोर संभाली हैं।


अतीत की चादर ओढ़े,

वो सतरंगी पल,

हारे हुए इरादों में, फिर से भरते जीत का रंग,

बाबा के सपने, मां की शिक्षा

जीवन की परीक्षा में लाते मुझे प्रथम,

वो सतरंगी पल, भरते वर्तमान में

आत्मविश्वास के इंद्रधनुषी रंग,

जो चलते मेरे जीवन के संग,

जिनके साथ मैं जीतना चाहती जीवन की हर जंग।।


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