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Kusum Joshi

Children Stories

4.5  

Kusum Joshi

Children Stories

वो श्याम जलेबी वाला

वो श्याम जलेबी वाला

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बात पुरानी है तब की जब मैं भी बचपन जीती थी,

मेरे घर के बाहर से जो एक गली गुजराती थी,

उसमें अपना ठेला लेकर मस्ती में गाता चिल्लाता,

घर के आगे शोर मचाता आता था एक मतवाला,

वो श्याम जलेबी वाला।


रोज शाम में घड़ी हमारी पांच थी जो बजाती,

बिना किसी देरी के नीचे ठेले की घंटी बज जाती,

कभी ताकते थे दादी को और मुंह मासूम बनाते थे,

एक रूपए की ख़ातिर मम्मी को खूब मनाते थे,


ना मानें जो दादी मम्मी कोहराम मचा कर रखते थे,

उस एक रूपए की ख़ातिर कई कहानियां गढ़ लेते थे,

हाथ में आते ही रुपए धरती स्वर्ग बन जाती थी,

सरपट भाग ठेले के आगे बच्चों की कतार बन जाती थी,

सबको देता एक जलेबी साथ में देता था रस का प्याला,

वो श्याम जलेबी वाला।


दशकों बीत गए अब तब से गलियां सारी बदल गयी,

बचपन मेरा बीत गया पर ना बदली कुछ बीती बातें,

झुकी कमर हाथों में लाठी आज भी अपना ठेला लेकर,

कांपती आवाज़ में गाता चिल्लाता,

बच्चों की कतार बनाकर आज भी जलेबियाँ खिलाता,

एक बूढ़ा सा मतवाला,वो श्याम जलेबी वाला।।


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