वो सात सहेलियां
वो सात सहेलियां
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वो सात सहेलियां......।
वो सात कहानियों जैसी।
जिंदगी से जब भी मिली,
हिम्मत की रवानियों जैसी।
वो सात सहेलियां.......।
पथरिले राह थे।
फूल थे,
जिंदगी में तो,
कांटे भी साथ थे।
हार कभी मानी नही।
जीने की जिद हमेशा ठाने रही।
अपने बूते पर लड़ती रही।
हालातों से,
जिंदगी के मायनों में,
बेहतरीन रही।
आंखें पोंछ कर,
हमेशा मुस्कुराती रही।
साथ निभाया
कभी मां,
कभी बहन बन कर।
दूर रहकर भी,
एक दूसरे में,
खुद को ढूंढती रही।
यहाँ-यहाँ भी गई।
अपने किरदार का कद बढ़ाती रही।
अपनी दोस्ती की कहानी सुनाती रही।।