वो दिन
वो दिन
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बड़े लगते थे अक्सर
नन्हे हाथों और कदमों के लिए
पेड़ ,नाले और ताल I
फिर भी बड़ा जिगर
जिगरी दोस्तों को साथ लिए
करतब और वो कमाल I
थाह लेते पानी की गहराई
छीन लेते टहनियों से ऊंचाई
घर आते ही होते धमाल I
आज कदम बड़े
और वहीं नदी पेड़ पर
नहीं वो जज्बा होड़ लेने की l
दूर तक दिखती है
जब कभी शांत बैठ सोचता हूं
मन जीवन धार फिर मोड़ लेने की l