वो दीवानी
वो दीवानी
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मांग सिंदूर जिस क्षण भरायी थी वो
मांग से रक्त मेरे निकलने लगा
एक एक पग बढ़ा फेरे लेने लगी
गात्र घुटनों पे आकर बहकने लगा।।
