वो छुटपन की यादें, दादी की बातें
वो छुटपन की यादें, दादी की बातें
छुटपन में जब दादी लोरी गाती थीं,
तब हमें परियों के देश घुमा लाती थीं !
जब क़िस्से कहानियाँ सुना करते थे,
तब हम रात रात भर जागा करते थे !
ढूंढकर फिर वो वक्त कौन ला सकता है,
सच, बचपन का जमाना बहुत याद आता है !
जब हम बच्चे मासूम और भोले भाले थे,
वो प्यारे बचपन के दिन कितने मतवाले थे !
वो सुंदर- सुंदर गुड्डे -गुड़ियों का खेला था,
तब जीवन तो ख़ुशियों का एक मेला था !
जब हम छुट्टी में नानी, दादी के घर जाते थे,
सब मिलकर सारी खुशियाँ संग ही मनाते थे !
नाचती थी ज़ब गाँव के मेले में कठपुतली,
हमें खूब भाती थी तब रंग-बिरंगी तितली !
आंगन में घनेरे आम,कटहल के पेड़ होते थे,
जब कोयल कुकती और भंवरे गुनगुनाते थे !
