वक्त
वक्त
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अब हम
वो सवाल
अधूरे छोड़ देते हैं ..
जिनके जवाब में
सिर्फ "सब्र" होता है।
अब हम
उस ख़्वाब को
थामते नही..
जो धीमे धीमे
सुलगता है।
अब हम
किनारों
पे रुकते नहीं...
जिनका मौसमी
अहसास
अतरंगी होताहै।
अब हम
खोजते हैं
अपना वही दिल...
जहा बेहिसाब
वक्त होता था
हमेशा
हमेशा और
हमेशा ही
एकदूजे के
लिए .....
