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VEENU AHUJA

Others

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VEENU AHUJA

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वज़ूद ( अस्तित्व ) की तलाश

वज़ूद ( अस्तित्व ) की तलाश

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कई टुकड़ो मे

छोड़ जाता है वो

अपने को ,

जाते हुए बाहर को ..


मैं समेटती ..

उसमे मोजे ..

जूते ..

मैले रुमाल और बनियान

पहले अकसर ,

अब कभी कभी ..

बिस्तर पर गीला तौलिया ..


घंटो बाद भी , घर में

उसके वजूद की

गवाही देते ..


मैं शाम तक

सहेजती ..

शाम को वो ,

फिर बिखेर देता

अपने वजूद को ..


खप जाती

इसी में , मैं


भूल जाती

ढूंढना ...

अपना लापता वज़ूद . I


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