विश्वास
विश्वास
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चिड़िया निकली सुबह सुबह, चुगने को थोड़ा दाना।
चिंता बच्चों की थी उसको, मन बोला ना घबराना।
छोड़ दिया फिर रब पर उसने, हाँ! रक्षा वही करेंगे।
रब की मर्जी होगी जब तक, ये तब तक साँस भरेंगे।
चुगते चुगते दाना चिड़िया, चिंता घर की करती थी।
उमड़ घुमड़ जब बदरा छाए, घर जाने को डरती थी।
पंख जोड़ ईश्वर से बोली, अभी न बारिश बरसाना,
भूखे मेरे बच्चे बैठे, कौन खिलाएगा दाना।
लेकिन बारिश बिन धरती, सूखी सूखी हो जाएगी।
मेरे जितनी कितनी चिड़िया, कैसे दाना पाएगी।
इसलिए यही फरियाद करूँ, कुछ देर रोक लो बारिश।
मैं घर को जैसे ही पहुँचूँ , तब तुम बरसाओ बारिश।
