STORYMIRROR

S.Dayal Singh

Others

3  

S.Dayal Singh

Others

विश्वास

विश्वास

1 min
285


विश्वास अपनों पे ही होता है,कभी परायों पर नहीं होता,

पराये कब अपने हो जाते हैं,ये विश्वास ही नहीं होता।

कौन कहता है कि मुझे,तुम पर विश्वास नहीं है बाकी, 

तुम्हारे विश्वास ने मुझे इस कदर, निकम्मा जो कर दिया।

कि घर से बाहर निकलने की, हिम्मत आ गई है मुझमें,

तुम्हारी वफ़ादारीयों ने, मुझे चौकन्ना जो कर दिया।

तुम मुझ पर विश्वास करो या, ना करो ये तुम पर निर्भर,

पलटा हुआ किताब का, मुझे तो पन्ना जो कर दिया।

--एस.दयाल सिंह--



Rate this content
Log in