विकास
विकास
हमने किया है कितना विकास, तृप्ति के नाम पर विनाश।
ठहरो, समझो और कर लो विचार, कथनी- करनी को एक करने की दरकार।
रोजमर्रा के कामों का कर लो ध्यान, बचा लो अपनी धरती की पहचान।
दौड़ते दौड़ते कितना दूर निकल आए,
घर पर बातचीत बंद इंस्टाग्राम पर हजारों लाइक पाए।
समय की कीमत पहचानते हैं, पर समय को कितना जानते हैं साहब।
हर कलाई पर घड़ी है, पर टाइम नहीं, बिजी हैं आप।
नए-नए तरीकों से बिजली बचाना जरूरी है,
एसी में सोना और गीज़र के पानी से नहाना मजबूरी है।
कल ही परिवार के मजबूत रिश्तों पर मेरा लेख पेपर ने छापा,
ओल्ड एज होम में रहते हैं मेरे मम्मी पापा।