भारत बनाम भारती
भारत बनाम भारती
भारतवर्ष की बातें बड़ी निराली
इसे आबाद करने वाला बड़ी शान से कहता है
सवा करोड़ हम सभी दिले हिंदुस्तान हो गए
जनसँख्या एक्सप्रेस दौड़ती है यूं
कि नज़र के दायरे में बस मकान हो गए
एक संतान खुशहाल भारत महान
नहीं सुनते हैं लोग
जिंदगी की रफ़्तार में बहरे कान हो गए।
लूटमार हत्या डकैती बलात्कार
जुर्म आधुनिकता के विकास का पैमाना
इंसानियत को हाशिये पर धकेल कर
शैतान हर सुबह अखबार के कॉलम की जान हो गए।
मगर दोस्तों
आशाएं काम आएँगी
दवाएं काम आएँगी
होगा कि
हम गफलत से बाहर आए
आवाज़ उठाये
मुश्किल को करना है दरकिनार
कि
निगहबान हो गए
न्याय होना है कि इन्सान हो गए।
नौजवानों उठो कि आन और बान हो गए
गिर -गिर के संभालना जरूरी है
आदर और मान हो गए।
