वीराने, खण्डहर और पुराना इश़्क
वीराने, खण्डहर और पुराना इश़्क


वीराने, खण्डहर,
पुराने क़िले,
और पुराना इश़्क
समय के साथ और भी दिलचस्प हो जाते है
सोचने के लिये दिमाग़ को
और महसूस करने के लिये दिल को
कई काम मिल जाते है,
आख़िर क्या हुआ होगा,
जो आज भी इन पत्थरों से
साँसों की चलने की
आवाज़ें आ रही है
टूटने बाद भी जो बयाँ कर रही है
अपनी बेमिसाल ख़ूबसूरती,
सोचो, अपने ज़माने में
दिल की धड़कने कैसे बढ़ाती होगी
दीवारों पर उकेरी आकृतियाँ
आप बीती कई दास्तान सुना जाती है
किसी कोने से हँसी की गूँज सुनाई देती है
तो कहीं मिल जाते है
आँसुओं के बने नमक के निशान
और हर झरोखा बता देता है कि
वहाँ से दिखते आसमान के टुकड़े में
अनगिनत रातों के चाँद ने
अँगड़ाई ली होगी,
आँगन के बीच चमकती धूप में
किसी ने हाथो से झटक कर
पानी की बूँदें
अपनी ज़ुल्फ़ें सुखाई होंगी
आज़ाद बही होंगीं साँसों में ज़िंदगी,
तो कहीं किसी ने
क़ैद बेड़ियों की बिताई होगी
उस हवा की महक में मिलते है
तमाम क़िस्से
तख़्त, हूकूमत,
मोहब्बत, वफ़ा, बेवफ़ाई
जंग और बग़ावत के
चौखट पर बने आलों की कालिख़ में
अंधेरों में जले दीये की रोशनी छिपी है
दीवारों की जर्जरता में
ऊँची शान और बहादुरी बसी है
बहुत कुछ दिखता है
पर फिर भी बहुत कुछ रह जाता है
इमारतों और दिल के तहखानों में
किसी तिलिस्म,
किसी रहस्य के जैसे
सच में, मिट कर भी रह जाते है ज़िंदा
वीराने, खण्डहर,
पुराने क़िले,
और पुराना इश़्क