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Shayra Zeenat ahsaan

Others

5.0  

Shayra Zeenat ahsaan

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वीर अनेक

वीर अनेक

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मैं खेलना चाहती हूँ

जीवनरूपी क्रिकेट

नहीं चाहतीं मैदान से

जल्दी वापस लौटना।

नहीं चाहती मेरी सांसो की गिल्लियां,

जल्द उड़ जाएं,

क्योंकि मैं चाहती हूँ जाकर

सीमा पर कैच आउट हो जाऊं

क्योंकि ज़िन्दगी के इसी 

डे-नाइट मैच में ही

हमें कुछ कर गुज़रना हैं

ताकी बाद में लोग कह सके

"उस पथ पर देना तुम फेंक,

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,

जिस पथ जाएं वीर अनेक "


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