वह चिड़िया
वह चिड़िया
वह चिड़िया जो
चोंच खोलकर
ढूंढ़ लेती है कीट पतंगे
काश ! आज मैं ढूंढ़ जो सकती
अदृश्य सा कोरोना वायरस
और चोंच के नीचे रख कर
चूस लेती सारा उसका रस
नीले पंखों वाली मैं हूं
मुझे मानवता से बहुत प्यार है
वह चिड़िया जो
पंख खोल कर
दुनिया की है थाह जो लेती
काश! आज मैं बता ये सकती
कौन, कहां संक्रमित कोरोना से ?
और दुनिया को आगाह जो करती
वह छोटी मुंह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूं
मुझे दुनिया से बहुत प्यार है
वह चिड़िया जो
चोंच खोल कर
अपनी गीत से मन मोह लेती
आज मनुज है घर के अंदर
बाहर सब वीरान पड़ा है
दहशत में जीवन है सबका
सबसे बड़ा सवाल खड़ा है
वह छोटी मुंह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूं
मुझे आप सभी से बहुत प्यार है।