उसके नाम की बारिश
उसके नाम की बारिश


आँखों में इतने आंसू थे उसके
ना थी जितनी बारिश आसमान में
फिर भी ऊपर ताके बैठा
बची थी उम्मीद उस गरीब किसान में
ये बारिश भी तो तबतक ही उसकी मनी जाएगी
जबतक ये ज़मी,फसल, ये हल ये नदी में
पानी की कलकल उसके नाम रह पाएगी
कर्ज में डूबा वो किसान
क्या कुछ बूंदे खुशियों की उसको मिल जाएगी
क्या कुदरत के आगे उसकी जीत हो पाएगी
क्या जाने की आने वाली बारिश में
ये जमीन उसकी रह भी पाएगी
घर के खाली बर्तन
भूख उसे मारने को मजबूर कर जाएगी
बारिश की कीमत हमको
उसके मर जाने पर नजर आएगी
जब तक होगी किसान के हाथो उसकी ज़मी
तभी तो बारिश उसकी कहलाएगी
तभी तो बारिश उसकी कहलाएगी