रात का चाँद
रात का चाँद

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रात का चाँद सर पर है,
मानो ताज हो आसमान का
चमकते सितारे की कारीगरी है उस पर,
जैसे गुरूर हो उजियारे का,
नन्ही सी आँखें ढूँढती है उसमे कोई परी,
क्या होगी सच में कोई
जो कर सके हर सपना जादू से खरी