एक सुबह नई
एक सुबह नई
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दौड़ती सी जिंदगी आज अचानक से रुक गई
तुम जानती हो मैं सिर्फ बीत रही हूं ?
ऐसा वो मुझसे सवाल कर गई
वक्त से ज़रा सा लम्हा चुरा कर
सोचा मैंने दिल लगाकर
हाँ सच में बस गुजर ही तो रही है ये जिंदगी
छूट रहा है सबकुछ अब हर घड़ी
सोचती हूं
थामूं फीर से इसका छोर कोई
रंग भर दूँ इसमें और कई
अचानक देखा मैंने फिर
जैसे होने लगी है फिर एक सुबह नई....