एक लड़का है
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एक लड़का है
जो करने मंजिलों का सफर,
घर छोड़ आया है।
नए पुराने कितने रिश्तो को
ना जाने जोड़ तोड़ आया है ।
ख्वाबों की गुल्लक में भरकर
खनखानाहट साथ लाया है ।
जेबो में उसके चाहतो की
कुछ पुरानी भीगी नोटों सी पूंजी समाया है ।
एक लड़का है
जो करने मंजिलों का सफर ,
घर छोड़ आया है।
हर मोड़ पर मुश्किलों के बाद
कामयाबी ने उसका साथ निभाया है।
वो इस दौड़ती - भागती, भीड़ से
अपनी पहचान खुद ढूंढ कर लाया है।
हर इंसान से तर्जुबा लेकर
अपना अलग तर्जुबा बनाया है।
मिसाल की है कुछ ऐसी कायम,
जैसे हर बीते कल से
कुछ नया सीख आया है।
एक लड़का है
जो करने मंजिलों का सफर ,
घर छोड़ आया है।
दूर होकर भी हर रिश्तो को
उसने बखूबी निभाया है।
आज भी जब त्योहार हो घर में,
माँ की हर यादों में वो समाया है।
भाई, बेटा, पोता, साथी, दोस्त
और एक नेक दिल इंसान।
जैसे हर किरदार में खुद को
उसने बेहतरीन बनाया है।
घर का दीपक बनकर उसने ही तो
लौ को जलाया है।
एक लड़का है
जो करने मंजिलों का सफर,
घर छोड़ आया है।
अकेलेपन के हर लम्हों में,
उसने खुद को समझाया है।
हासिल की है आज जो कामयाबी,
हर औहदे में नाम कमाया है।
वो सूरज की आग,
चंदा की शीतलता,
रातों का जगमगाता मशाल बना ।
आने वाली हर पीढ़ी के लिए
खुद में एक मिसाल बना ।
खुद को करके सब से दूर-परे,
अपना आज आसमान बनाया है।
एक लड़का है
जो करने मंजिलों का सफ़र
घर को छोड़ आया है।