STORYMIRROR

Manu Sweta

Others

2  

Manu Sweta

Others

उन्मुक्त

उन्मुक्त

1 min
3.1K

तोड़ दो सारे बंधनों को

छूने दो मुझे आसमान को

बस काट देना चाहती हूँ

इन परम्पराओं की बेड़ियों को

मेरी हर बात पे पहरा बैठा देते हो

क्यो मुझे विवश कर देते हो

मैं भी उन्मुक्त विचरना चाहती हूँ

धरा के इस ओर से उस छोर तक



Rate this content
Log in