उनकी दूसरी मुलाक़ात!
उनकी दूसरी मुलाक़ात!
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वो थी एक अनजान।
न थी कोई जान पहचान।
मुझपे था, जिसका ध्यान।
वो सफ़र था, अनजान।
जिसका न था मुझे,
तनिक भी ज्ञान।
मेरे पद चिन्हों पे,
था उसका पद निशान।
जिसका न था मुझे,
बिलकुल भी ध्यान।
वो सफ़र था, अनजान।
कुछ पद चल,
ठहर वो बोली।
बातों-बातों में,
साथ वो हो ली।
स्कूल के पत्रिका में,
फ़ोटो आपकी छपी थी।
टीचर-डे के अवसर पर,
भाषण आपका सुना था।
मेरी इन आँखों का जब,
रूबरू इस चेहरे से हुआ था।
तब मैंने आपको,
पहली बार देखा था।
