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Abhishek Singh

Others

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Abhishek Singh

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उनकी दूसरी मुलाक़ात!

उनकी दूसरी मुलाक़ात!

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वो थी एक अनजान।

न थी कोई जान पहचान।

मुझपे था, जिसका ध्यान।

वो सफ़र था, अनजान।

जिसका न था मुझे,

तनिक भी ज्ञान।

मेरे पद चिन्हों पे,

था उसका पद निशान।

जिसका न था मुझे,

बिलकुल भी ध्यान।

वो सफ़र था, अनजान।


कुछ पद चल,

ठहर वो बोली।

बातों-बातों में,

साथ वो हो ली।

स्कूल के पत्रिका में,

फ़ोटो आपकी छपी थी।

टीचर-डे के अवसर पर,

भाषण आपका सुना था।

मेरी इन आँखों का जब,

रूबरू इस चेहरे से हुआ था।

तब मैंने आपको,

पहली बार देखा था।


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